"बंदरबाँट चालू था मिया, उस दिन भगवान के यहाँ| स्साला सब इक से इक हरामी लौडे मंडली बना के बैठे हुए थे| भगवान भी अपनी किस्मत को कोस रहे थे| कौनसा नामुराद दिन था की विष्णु की बात सुन ली और यह भगवान का पद स्वीकार कर डाला|" बाबा ने धुआँ छोड़ते हुए फरमाया|
हमने कहा, "तुम्हे चॅड गई है| यह क्या बक रहे हो|"
"अरे सच बोल रहे हे हम| हम भी थे उस दिन वहाँ आखों से देख के आए यह सब|"
"अच्छा तो आगे क्या हुआ|"
"स्साला इक इक हरामी को दो दो मिली| कम हरामी हो तो इक मिली| और शरीफो के लिए बची ही नही|"
"अरे किस बारे में बात कर रहे हो| भगवान के यहाँ भी गुमटी थी क्या?" हमने हैरत से पूछा|
"चूतिए हो तुम, अरे लड़कियाँ|"
"ओह तो मामला लड़कीबाजी का है? हम तो सोच रहे थे की तुम दुनिया में नल्लो के बादशाह बनने के लिए ही आए हो|"
"हमे तो कोई मतलब था नही इस लौंडियबाजी से| या यह कहो की हमारे तो बस का नही है यह रोग, जीवन भर भी किसी को समझाए की हम प्यार करते हें तुमसे, तो भी मज़ाक में ही लेगा कोई भी| बड़े बक्चोदो की ज़िंदगी में यह सब सुख कहाँ होते हें बे|"
"तो मामला क्या है बाबा भाई| प्रकाश डालो|"
"स्साला, खुदका दुख तो सह लेते हें हम पर २ हफ्ते पहले वो पड़ोसी लौडे ने स्साला हान्थ काट लिया बे| इन दोस्तों ने जीना हराम कर दिया है| लौंडिया ना हुई जीवन ही हो गया| उसको समझाया भी था की ऐसे चूतियापंती का कोई मतलब नही है| इश्क़ का क्या है, माना लड़किया अब कम बची है भारत में, पर फिर भी मिल ही जाती है| बोल रहे थे ना, स्साले सारे रंडीबाज़ लौडे २-३ चलाते हें, और भोले भाले मासूम हान्थ काटते फिरते हे|" यह कहकर बाबा मौन हो गए|
हमे भी कुछ समझ ना आया, की भाई अब कहे तो क्या| सच तो यह था की हमें तो झाँट फरक नही पड़ा| यह स्साले दुनिया ऐसे कमज़ोरो के लिए बनी ही कहाँ है| कौन पूछता था, मरने के दो दिन बाद| अजी माँ- बाप भाई बहन भी बोलते हें, की मुफ़त का ख़ाता था, अच्छा मर गया| अगर ऐसी बातों से लोग जीने मरने लगे, तो दुनिया में बचेगा ही नही कोई| मरने वाले मरते रह जाते हें| और दुनिया उनकी कब्र पर मूतती है| सत्य का आभास नही है इन्हे|
हमने नशे में भटकी बाबा की निगाहो को गौर से देखा| दुख तो बहुत हुआ यह सोचके की इनका चूतिया काटे बगैर दुनिया को नींद कहाँ आएगी| "आएगा इनका दिन भी, यह भी काटेगे हान्थ इश्क़ में, बहुत भावनाओ में बहते हें यह भी"|
हमने गांजे का आख़िरी काश खीचा, और बाबा की तरफ देखके बोला, "चलो मालिक, आज की दारू हम पिलाते हें| सारे संकटो को एक ही चीज़ हर सकते है|"
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